Sunday, October 22, 2023

Kubera taught a lesson

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धन और समृद्धि के देवता कुबेर को अपनी समृद्धि पर बड़ा घमण्ड हो गया। वो अपना वैभव सभी देवताओं को दिखाने के लिए उनको अपने महल में आमंत्रित कर बड़े ही धूमधाम से उनका सत्कार करते। उन्होंने महादेव और पार्वती माता को भी कई बार आमंत्रित किया पर वो कभी कुबेर के महल नहीं पधारे। 

अंततः कुबेर स्वयं कैलाश जाकर महादेव को रत्न और आभूषण समर्पित करने लगे। महादेव को इन सब सांसारिक वस्तुओं का क्या मोह, परन्तु उन्होंने कुबेर के घमण्ड को जान लिया और उनको सीख सिखाने की सोची। अगली बार जब कुबेर ने महादेव को आमंत्रित किया तो महादेव ने कहा, “मैं और उमा तो नहीं आयेंगे परन्तु हमारा पुत्र गणेश अवश्य तुम्हारे समारोह में उपस्थित होगा।“

 कुबेर ने गणपति को अपने महल में सत्कार के साथ बिठाया और भोजन प्रस्तुत किया। गणपति ने सारा भोजन खाकर और भोजन माँगा। कुबेर ने और भोजन परोसा, गणपति वह भी खा गए पर उन्ही क्षुधा शान्त नहीं हुई। विनायक की भूख शान्त करने के प्रयास में कुबेर का सारा कोश खाली हो गया पर गणपति की भूख अभी भी नहीं मिटी। कुबेर ने भागकर महादेव और माता पार्वती की शरण ली और गणपति की भूख शान्त करने के लिए प्रार्थना की। कुबेर को सीख मिल चुकी थी, ऐसा सोचकर माता पार्वती ने प्रेम से बनाया हुआ एक मोदक गणपति को दिया, जिसे खाकर तुरंत ही उनकी भूख मिट गयी। कुबेर को अपनी भूल पता चल गयी और उन्होंने अपने सांसारिक वैभव पर घमण्ड करना छोड़ दिया।  

Once the God of wealth Kubera became very proud of his prosperity. He started throwing lavish parties to host all the Gods, to showcase his wealth. He invited Mahadeva many times, but Mahadev he refused. Kubera started visiting Mahadeva at Kailash and started offering Him jewels and ornaments. Mahadeva was not impressed by such offerings, but he sensed Kubera’s arrogance and decided to teach him a lesson. 

Next time when Kubera invited Mahadeva for his party, Mahadeva declined the invitation as usual, however he suggested his son Ganesh would visit instead. 

 Kubera welcomed Ganapati in his lavish abode and offered him food. Ganapati ate whatever Kubera offered, but was still not satisfied, so he asked for more food. Kubera served more food, which was also consumed by Ganapati. Vinayak kept eating whatever Kubera offered and still demanded for more. In the end Kubera ran out of food to serve, but Ganapati was still hungry. 

 To protect himself from Ganapati’s wrath, Kubera went running to Mahadeva and requested for his help. Knowing that he had learned his lesson, Mahadev suggested that Kuberhe prays to Mata Parvati. Kubera pleaded to Mata Parvati forto help. 

Mata Parvati went to Kubera’s palace and offered a Modak to Ganapati. Ganapati ate the Modak offered by his mother and was instantly full. Kubera learned a lesson in humility and never again bragged about his possessions.   


हिंदी में सुनने के लिए : https://www.saavn.com/s/show/sutradhar-mini-tales-%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%a6%e0%a5%80/1/%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%ac%e0%a5%87%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%ae%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a6%e0%a4%a8-%7c-teaching-kubera-a-lesson/qdqjOYoygoQ_

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